नमस्कार दोस्तों आज इस ब्लॉग में आपको हम elephanta गुफा गुफा के बारेमें कुछ कहानी बताएँगे,
साथ में आप कैसे वह पहुंच सकते है उसे वि बताएँगे तो चलिए जानते है
Elephanta Caves In Mumbai
कैसे पहुंचे एलीफैंटा केव्स में ? how to reach elephanta caves ?
दोस्तों आप चाहे भारत देश के किसीवी कोने में है आपको आना होगा सबसे Pehle छत्रपति शिवजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन में,
वह से आपको टैक्सी ऑटो बसेस वि मिल जायेगा फिर आपको जाना होगा गेटवे ऑफ़ इंडिया जो की ताज होटल के बिलकुल सामने है।
उहा आपको टिकट काउंटर से एलीफैंटा केव्स के लिए टिकट निकलना होगा,
कितना बजे तक चालू रहता है caves ? timing of elephanta caves in hindi
आपको हरदिन जानेको मिलता है (Monday closed ) ,लेकिन ध्यान रखे evening 5 बजे तक लास्ट बोट रहता है, उसके पहले आपको return आना होगा। नहीतो रातभर वह जगा अँधेरे में भूका रहना पड़ेगा।
आपको लगभग १ घंटा लगता है मुंबई गेटवे ऑफ़ इंडिया से एलीफैंटा केव्स तक
आपको लगभग १ घंटा लगता है मुंबई गेटवे ऑफ़ इंडिया से एलीफैंटा केव्स तक ,
सुभे ९ से ३ तक जाने के लिए बॉट्स रहता है, आप कोई वि बोट में जा सकते है
कितना उची है ? कितना समय लगता है ऊपर तक पहुंचने में ? how much time it require to rach caves
cave के ऊपर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग १२० सीढ़ियों को पर करना होता है जो की १५-२० मिनट लगता है
एक्स्ट्रा खर्च ? extra expenses of elephanta caves
आपको केव के Andar जाने के लिए वि पैसा देना होता है जो की इंडियन के लिए सस्ता है लेकिन फोरेनर के लिए महंगा है
सेफ्टी टिप्स ?
1 – दोस्तों आपको उहा र से बचके रहना होगा,
2 – कैमरा और अन्य बस्तु को बचके रखना होगा,
3 – पानी के बोतल साथ में लेके जाये,
4 – सीढ़ियों के बीच आपको खाना नहीं मिलेगा एकदम निचे नहीतो एकदम ऊपर मिलता है।
एलिफेंटा का इतिहास: history of elephanta caves in hindi
कब बना है या गुफा ? कैसे इसका नाम दिया गया ? how its name given elephanta caves ?
अभी तक इस द्वीप के किसी भी शिलालेख को खोजा नही गया है, इस द्वीप का इतिहास अनुमानों पर आधारित है.
हिन्दू इतिहास के मान्यताओं के अनुसार पाण्डव और भगवान शिव के दानव भक्त बाणासुर इन गुफाओ में रह चुके है. स्थानिक परम्पराओ और जानकारों के अनुसार ये गुफाये मानव निर्मित नही है.
एलिफेंटा गुफाओ की निर्माण तिथि और आरोपण के बारे में किसी को नही पता. लेकिन कुछ इतिहासिक जानकारों ने इसके निर्माण को 5 से 8 वी शताब्दी के बीच ही बताया.
आर्कियोलॉजिकल सर्वे में यहाँ 4 थी शताब्दी के कुछ सिक्के भी मिले थे. इतिहासिक अनुमानों के अनुसार यहाँ कोकण कस मौर्य शासक को बादामी चालुक्य शासक द्वितीय (609-642) ने नवल के युद्ध में पराजित किया था, यह युद्ध 635 AD में हुआ था.
इसके बाद से एलिफेंटा को पूरी और पुरिका के नाम से जाना जाने लगा, और तभी से यह कोकण मौर्य की राजधानी भी रहा है. कुछ इतिहासकारो ने इसे कोकण मौर्य की विशेषता बताया था, जिनका शासनकाल 6 वी शताब्दी के बीच में था.
जबकि कुछ इतिहासकारो ने इसे कलचुरिस (5 वी और 6 वी शताब्दी) की विशेषता बताया, जिनका कोकण मौर्य के साथ सामंतशाही रिश्ता था. इसका निर्माण उस समय में हुआ था जब बहुदेववाद काफी प्रचलित था. एलिफेंटा गुफाये एकेश्वरवाद को समर्पित है.
चालुक्य जिन्होंने कलचुरिस और कोकण मौर्य को पराजित किया था, उनका भी ऐसा मानना है की 7 वी शताब्दी के मध्य में इसका निर्माण किया गया है. मुख्य गुफा के निर्माण के अंतिम दावेदार राष्ट्रकूट थे, जो 7 वी शताब्दी के प्रारम्भ और 8 वी शताब्दी के अंत में थे.
कैसे बना है ? how it made ?
एलिफेंटा की शिव गुफाये 8 वी शताब्दी के राष्ट्रकूट पत्थर के एलोरा के कैलाश मंदिर प्राचीन समय के गुणों को प्रदर्शित करते है. एलिफेंटा की त्रिमूर्ति (शिव के तीन चेहरे) ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति को दर्शाते है. नटराज और अर्धनारीश्वर मुर्तिया राष्ट्रकूट की विशेषता दर्शाते है.
बाद में एलिफेंटा पर चालुक्य साम्राज्य के सम्राट और बाद में गुजरात सल्तनत ने शासन किया, जिन्होंने 1534 में पुर्तगाल को आत्मसमर्पण कर दिया था. तभी से एलिफेंटा को घरपुरी के नाम से जाना जाने लगा.
एलिफेंटा की गुफ़ाएँ के पर्वत पर भगवान शिव की मूर्ति भी है. मंदिर में एक बड़ा हॉल है जिसमें भगवान शिव की नौ मूर्तियों के खण्ड विभिन्न मुद्राओं को प्रस्तुत करते हैं.
आज भी स्थानिक मराठी लोग इसे नाम से एलिफेंटा गुफाओ को पुकारते है. पुर्तगालियो ने इसे “एलिफेंटा द्वीप” का नाम दिया. इसके बाद यहाँ बड़े हाथी का प्रतिमूर्ति भी बनाई गयी थी. जो आज मुम्बई के जिजामाता उद्यान में हैं.
पुर्तगाली शासको ने देखा की द्वीप पर हिन्दू लोगो की संख्या में निरंतर कमी हो रही है और तभी से वहाँ शिव गुफा में हिन्दू लोग भगवान की पूजा करने लगे थे, शिव के त्यौहार मनाने लगे थे और आज भी वह स्थानिक लोग पूजा करते है.
पुर्तगालियो के बाद इन गुफाओ का काफी नुकसान हुआ. पुर्तगाली सैनिको ने टारगेट के तौर पर शिव के विश्राम स्थान को ही चुना. उन्होंने गुफाओ के निर्माण से सम्बंधित दावो को भी हटा दिया. जबकि कुछ इतिहासकारो ने पुर्तगालियो को ही गुफाओ का विनाशक बताया.
इस गुफ़ा में शिल्प कला के कक्षो में अर्धनारीश्वर, कल्याण सुंदर शिव,रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने, अंधकारी मूर्ति और नटराज शिव की उल्लेखनीय छवियाँ दिखाई गई हैं.
एलिफेंटा में भगवान शंकर के कई लीला रूपों की मूर्तिकारी, एलौरा और अजंता की मूर्तिकला के समकक्ष ही है. एलिफेंटा की गुफाओ में चट्टानों को काट कर मूर्तियाँ बनाई गई है. इस गुफ़ा के बाहर बहुत ही मज़बूत चट्टान भी है. इसके अलावा यहाँ एक मंदिर भी है जिसके भीतर गुफ़ा बनी हुई है.
एलिफेंटा की रोचक जानकारी – Elephanta Caves History In Hindi
गुफाओ में बनी ये मूर्तियाँ तक़रीबन 5 से 8 वी शताब्दी में बनायी गयी थी, लेकिन आज भी इसे किसने बनाया इसपर बहस शुरू है. गुफाओ को असिताश्म पत्थरो से ही काटा जा सकता है. सभी गुफाओ को प्राचीन समय में ही रंग दिया गया था लेकिन अभी केवल उसके कुछ अवशेष ही बचे हुए है.
1970 में इसकी दोबारा मरम्मत की गयी थी और 1987 में युनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट ने इसे डिज़ाइन भी किया था. फ़िलहाल इसकी देखरेख आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) कर रहा है.
मुख्य गुफा (गुफा 1, सबसे बड़ी गुफा) 1534 तक पुर्तगाल के शासन के समय तक हिन्दू लोगो के पूजा अर्चना करने की जगह थी. लेकिन 1534 के बाद गुफा को काफी क्षति पहोची.